Pratha Pratigya

भाई दूज – भारतीय परंपरा में प्रेम और बंधन का पर्व

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भाई दूज का महत्व:

भाई दूज, भारतीय परंपरा में भाई-बहन के बंधन को और भी मजबूत बनाने का एक खास मौका प्रदान करता है। यह त्योहार भाई-बहन के आपसी प्रेम और समर्पण को चिर स्थायी बनाए रखने का एक अद्वितीय अवसर है। इस दिन भाई बहन एक दूसरे के साथ विशेष रूप से वक्त बिताते हैं और आपसी भाइचारे की मिठास को महसूस करते हैं।

भाई दूज की परंपरा:

भाई दूज, दीपावली के दूसरे दिन को मनाया जाता है और इस दिन बहन अपने भाई की लंका दहन की पूजा करती है। बहन अपने भाई की आरती करती है और उसके चेहरे पर तिलक लगाती है, जिससे उसका दीर्घायु होना मान्य होता है। इसके बाद, भाई बहन को आपसी आदर और प्रेम के साथ एक दूसरे की आरती करते हैं और बहन भाई के पीठ पर तिलक लगाती है।

भाई दूज का आयोजन:

इस दिन बहनें अपने भाइयों के लिए स्वादिष्ट खाने बनाती हैं और उन्हें उपहार भी देती हैं। इसे बहनें अपने भाई को स्नेहपूर्ण भावनाओं के साथ विभिन्न उपहारों जैसे वस्त्र, श्रृंगारिक आभूषण, या धन के रूप में देती हैं।

समापन:

भाई दूज भारतीय समाज में बंधुत्व और सखा-साजी की अद्वितीयता का पर्व है। यह एक दिन है जब भाई-बहन के बीच एक और प्यारा संबंध बनता है और उनकी दोस्ती और समर्पण को और भी मजबूती से महसूस किया जाता है। इस पावन पर्व के अवसर पर, हम सभी को भाई-बहन के बीच इस मिठास और प्रेम की नई शुरुआत का आनंद लेने का आमंत्रण है। भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएं!


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